ये 11 मसाले जो आपके स्वाद को बढ़ाते हैं और आपको स्वस्थ भी बनाते हैं Spices make you Healthy

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Spices make you Healthy : कुछ मसाले ऐसे होते हैं जो न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि सेहत के लिए भी अच्छे होते हैं। बस जरूरत है इनका सही इस्तेमाल करने की…

भारतीय खाने में मसालों का इस्तेमाल हजारों सालों से होता आ रहा है। इनका उपयोग करने का उद्देश्य न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाना है, बल्कि ये खाद्य विकारों को कम करके उनके गुणों को भी बढ़ाते हैं। साथ ही छोटे स्तर पर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का भी इन मसालों में निदान किया जाता है।

हालांकि आज के दौर में मिर्च मसाले (Spices), घी के तेल का इस्तेमाल दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है। कैलोरी की मात्रा और आहार का पोषण मूल्य भोजन की परीक्षा है। लेकिन चल रहे कई शोधों से पता चलता है कि अगर किसी भी मसाले (Spices) को उचित मात्रा में भोजन में शामिल किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

आइए जानते हैं कुछ लोकप्रिय मसालों के बारे में और उनके इस्तेमाल से स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी ख्याल रखा जा सकता है।

 

मसाले (Spices) और उनके स्वास्थ्य लाभ:

लौंग:
लौंग बेशक आकार में छोटी होती है, लेकिन लौंग के फायदे चमत्कारी होते हैं। लौंग का उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। इसमें कई ऐसे जरूरी औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर से जुड़ी कई समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि लोग अब भी इसका इस्तेमाल सर्दी-खांसी से बचने के लिए करते हैं, लेकिन लौंग की कलियां मुंह के सूक्ष्मजीव (मुंह में पैदा होने वाले सूक्ष्म जीवों) को 70 फीसदी तक कम कर सकती हैं। इसी वजह से कई टूथपेस्ट में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी, टी ट्री ऑयल के साथ लौंग के इस्तेमाल से घर पर बना माउथवॉश मुंह के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, लौंग में यूजेनॉल नामक तत्व दांत दर्द को कम करने का काम कर सकता है। यह दांतों को पट्टिका और कैरिज से भी बचा सकता है, जिसमें मधुमेह को कुछ हद तक नियंत्रित करने के लिए लौंग का उपयोग भी शामिल है।

दालचीनी:
दालचीनी एक ऐसा मसाला है जो प्रकृति में गर्म होता है और गरम मसाला का हिस्सा होता है। अगर आप पुलाव बना रहे हैं तो इसके साथ खाए गए रायते में एक चुटकी पाउडर मिला दें, स्वाद बढ़ जाएगा. ब्रेड पर मक्खन के ऊपर थोड़ा सा पाउडर छिड़कें, कॉफी पर एक चुटकी छिड़कें और चॉप्स बनाते समय थोड़ा सा डालें, स्वाद बढ़ जाएगा। सेब की खीर या मिल्कशेक बनाते समय इसके पाउडर का इस्तेमाल करें।

जीरा:
जीरा रसोई में इस्तेमाल होने वाले मसालों में एक महत्वपूर्ण सामग्री है। इसमें तीखी और मीठी सुगंध होती है। भारतीय खाने के अलावा मेक्सिकन खाने में भी जीरे का काफी इस्तेमाल होता है। जीरा आयरन से भरपूर होता है और यह पाचन में भी मददगार होता है। जीरे का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। एक, दाल, सब्जी और चावल में तड़का लगाने के लिए, इसके अलावा कच्चे मसाले (Spices) को भूनते समय जीरा पाउडर के रूप में. भुनी हींग को छाछ, रायता, दहीभल्ला आदि में पाउडर के रूप में प्रयोग किया जाता है। जीरे को किसी भी रूप में प्रयोग करें, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह मधुमेह रोगियों और कब्ज से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद है। इसका नियमित सेवन सर्दियों में अच्छा होता है।

सौंफ:
सौंफ का इस्तेमाल हमारे मसालों में भी खूब किया जाता है। सूखी सौंफ मुंह को साफ करने के अलावा पाचन तंत्र पर भी असरदार प्रभाव डालती है। इसका उपयोग हमारी कई पारंपरिक सब्जियों में पाउडर के रूप में किया जाता है। इसे कई अचार में भी डालिये. यह मुख्यतः 2 प्रकार का होता है। एक मोटी सौंफ, जो खाने के काम आती है और दूसरी बारीक सौंफ, जो मुंह साफ करने के काम आती है। इसके सेवन से कब्ज, पेट दर्द, गले में खराश, पित्त ज्वर, हाथ-पांव में जलन आदि में आराम मिलता है। इसे करेले, पत्ता गोभी और अचार की सब्जी आदि में प्रयोग किया जाता है। पंचफोदन में भी सौंफ होती है। कुल मिलाकर इसका इस्तेमाल सेहत और खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

काली मिर्च:
काली मिर्च सिर्फ गरम मसाला का ही एक हिस्सा नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल सब्जियों में साबुत मसाले (Spices) मिलाते समय और पश्चिमी व्यंजन और सलाद आदि में पिसी हुई काली मिर्च पाउडर के रूप में किया जाता है। काली मिर्च 2 प्रकार की होती है। एक, जिसमें इसके अधपके दानों को सूखा रखा जाता है, वे काले हो जाते हैं और दूसरा, जब इसके दाने पूरी तरह से पक जाते हैं, तो इसकी ऊपरी सतह यानी काला छिलका आसानी से निकल जाता है। पकने पर सफेद मिर्च में काली मिर्च से ज्यादा गुण होते हैं। पकौड़े बनाते समय सफेद मिर्च और काली मिर्च पाउडर डालें। दाल को तड़का लगाते समय इसमें 4-5 दाने दरदरी पिसी हुई काली मिर्च डालें. स्वाद बढ़ जाएगा। सूप में ताजी पिसी हुई काली मिर्च और मठरी बनाते समय काली मिर्च पाउडर भी मिला सकते हैं. इससे स्वाद और अच्छा हो जाएगा। लड्डू बनाते समय उसमें सफेद और काली मिर्च पाउडर डाल दीजिए.

तेज पत्ता:
इसका उपयोग लौंग, दालचीनी या बड़ी इलायची जैसी सुगंध और स्वाद को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। विशेष रूप से इसका सेवन कफ प्रधान रोगों, अपच, पेट के रोगों और पाचन तंत्र से संबंधित रोगों के लिए लाभकारी होता है। लेकिन इसके जितने पुराने पत्ते होते हैं खुशबू छोड़ देते हैं। सब्जी और पुलाव में खड़े गरम मसाला के साथ इसका खूब इस्तेमाल होता है. पिसा हुआ मसाला भूनने से पहले इसके 2-3 पत्ते कढ़ाई में तेल में डालिये, फिर मसाला भून कर सब्जी डाल दीजिये. स्वाद बढ़ जाएगा। ऊपर बताए गए मसालों के अलावा और भी कई ऐसे मसाले (Spices) हैं। जिन का प्रयोग सब्जी बनाते समय किया जाता है। जैसे मेथी, खसखस, लोहबान, हींग, मिर्च, बड़ी और छोटी इलायची, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर आदि। ये सभी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। बस जरूरत इस बात की है कि इन सभी का सीमित मात्रा में सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा मसालों को अच्छी तरह से रख लें ताकि उनकी महक बरकरार रहे.

केसर:
केसर सबसे महंगे मसालों में से एक है। सर्दी, सर्दी और खांसी में, गर्मी में सर्दी में इसका सेवन अच्छे से किया जाता है। खजूर, किशमिश और बादाम से पके दूध में इसके कुछ रेशे मिला दें क्योंकि यह एक बेहतरीन टॉनिक है। इसकी खासियत यह है कि इसे ठंडी खीर या दूध में डालने से ठंडक मिलती है और सर्दी के मौसम में अगर इसे गर्म दूध में मिला दिया जाए तो यह चमत्कारी गर्मी देती है. इसका उपयोग शाही सब्जी, जाफरानी और पुलाव में भी किया जाता है। इसके कुछ धागों को गुलाब जल या गुनगुने दूध में भिगोकर 10 मिनट के लिए रख दें, फिर इसमें डाल दें। स्वाद और महक दोनों में इजाफा होगा।

मेंथी:
सर्दी के मौसम में मेथी भी बाजार में देखने को मिलती है। मेथी के पत्ते आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन से भरपूर होते हैं, विटामिन K. मेथी आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। मेथी पेट के लिए बहुत अच्छी होती है। पेट ठीक रहता है तो स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और सुंदरता भी बनी रहती है, मेथी का रस सुबह शाम पीने से मधुमेह में लाभ होता है।

जायफल और जावित्री:
जायफल और जावित्री गरम मसाला का हिस्सा हैं। इनका उपयोग केवल विशेष व्यंजनों में किया जाता है, लेकिन दवा के रूप में इनका बहुत उपयोग किया जाता है। जायफल सुगंधित होता है और भारी जायफल अच्छा माना जाता है। जायफल के फल की छाल को जावित्री कहते हैं। यदि बच्चे को सर्दी-जुकाम हो तो एक पत्थर पर थोड़ा सा जायफल पीसकर उसमें 1 चम्मच दूध मिलाकर पीने से आराम मिलता है। नींद न आने की स्थिति में दूध में जायफल का चूर्ण, केसर और छोटी इलायची का चूर्ण डालकर रात को सोते समय पीएं। सब्जी में सारे मसाले (Spices) तड़काते समय जावित्री का एक छोटा सा टुकड़ा डालिये, स्वाद अच्छा लगेगा.

कलौंजी:
कलौंजी के बीज राई के समान होते हैं। इनमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा इनमें कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि भी होते हैं। कलौंजी का स्वाद प्याज, काली मिर्च और अजवायन का मिश्रण है। वैसे तो इसका इस्तेमाल कई अचार में किया जाता है, लेकिन इसके बिना आम का अचार अधूरा लगता है. इसके अलावा नान और पूड़ी बनाते समय इसके थोड़े से दाने डालने से इनका स्वाद अच्छा हो जाता है. इसके कुछ दाने मिलाकर चाय बनाकर पीने से मानसिक तनाव कम होता है। कलौंजी का तेल भी कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं तो पंचमेल दाल में तड़का डाल दें। स्वाद अच्छा लगेगा।

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